astitva

Friday, November 6, 2009


आत्मा की गहराई में यदि झांकें 
तो हर अस्तित्व में एक सौरभ है

जैसे  कस्तूरी छिपी हिरन में है
जैसे महक हर फूल का गौरव है


यूँ ही एक सौरभ बसा है मुझमें 
जिसकी खुशबू फैली हर दिशा में है


जिसकी सुगंध,
ओस के बूँद सी पावन है 
जिसके आने से ,
पतझड़ में भी  दिखता सावन है


जो दोस्त है मेरा ,हमराज़ भी 
जो सांये की तरह मेरे साथ भी 


दिए बाती सा साथ हमारा 
जिससे  मिलता है तूफ़ान में भी किनारा 


नाज़ है मुझे उस पर 
जो शक्ति है मेरी सच्चाई भी
जो विशवास है मेरा और अच्छाई भी 

4 comments:

  1. creative again, innovative again n again B E A Utiful...poem.
    Good Job'
    waise ye saurabh kaun hai!! he he.

  1. anushree said...:

    saurabh means pleasant smell...
    ok by the way thanks for appreciating!!

  1. Unknown said...:

    Well definitely Saurabh is gonna cry the day he will read these awesome lines written by her friend.

  1. anushree said...:

    #Sahil Kumar
    thanks for the comment
    keep visiting!