जो यूँ प्यार कर बैठी
हज़ारों सपने आँखों में लिए
यूँ इकरार कर बैठीअरमानों को तस्वीर देने
तकदीर से टकरार कर बैठी
बड़ी भोली थी वो
जो यूँ प्यार कर बैठी
छल-दिखावे के बादल जब छंटते देखे
पगली, उनसे भी इनकार कर बैठी
आंसुओं को दामन में छुपाये
मुस्कराहट की बौछार कर बैठी
क्या पाया उसने ?यूँ खो कर सब कुछ
क्यूँ सब कुछ बर्बाद कर बैठी
बड़ी भोली थी वो
जो प्यार कह कर
ज़िन्दगी से खिलवाड़ कर बैठी
Brought tears in my eyes...